Saturday, January 28, 2017

Shani Dev - शनि देव

शनि देव हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक हैं। यह माना जाता है कि शनि देव मनुष्य को उसके पाप और बुरे कार्यों आदि का दण्ड प्रदान करते हैं। इनकी शरीर-कान्ति इन्द्रलीलमणि के समान है। सिर पर स्वर्ण मुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। शनि देव गिद्ध पर सवार रहते हैं। हाथों में क्रमश: धनुष, बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण करते हैं।



शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की कृष्ण अमावस्या के दिन हुआ था। सूर्य के अन्य पुत्रों की अपेक्षा शनि शुरू से ही विपरीत स्वभाव के थे। शनि भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं।

इनकी शान्ति के लिये मृत्युंजय जप, नीलम-धारण तथा ब्राह्मण को तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, नीलम, काली गौ, जूता, कस्तूरी और सुवर्ण का दान देना चाहिये।

इनके जप का वैदिक मन्त्र- ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:॥',

पौराणिक मन्त्र- 'नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्॥'

बीज मन्त्र बीज मन्त्र - 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।'

सामान्य मन्त्र सामान्य मन्त्र - 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' है।

इनमें से किसी एक का श्रद्धानुसार नित्य एक निश्चित संख्या में जप करना चाहिये। जप का समय सन्ध्या काल तथा कुल संख्या 23,000 होनी चाहिये।

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